पहले तो क्षमा चाहूँगा कि मैं हिन्दी के पन्नो तक पहुचने के लिए काफ़ी साड़ी अंग्रेज़ी का प्रयोग कर रहा हूँ और करने वाला हूँ।
चलिए, अब शुरू करते हैं।
Actually, मैं ये सोच नहीं सकता था कि कोई इतने मजेदार तरीके से ख़राब लिखने के फायदे यानी benefits of writing bad, बता सकता है। ऊपर से इस subject पे एक blog भी बना सकता है।
कमाल है भइया।
यूँ तो हिंदिनी (hindini.com) अच्छी site है पर ये लेख बड़ा ही पसंद आया। आशा है आप भी इसे पसंद करेंगे। हो सकता है इन से प्रेरित, बोले तो inspire होके आप भी ख़राब लिखना शुरू कर दें।
इनका web address है: http://hindini.com/fursatiya/?p=513
Saturday, August 30, 2008
अगड़म बगड़म: आलोक पुराणिक (Hindi Satires)
आलोक पुराणिक को भला कौन नहीं जानता। I mean, काफ़ी लोग नहीं भी जानते होंगे, पर फिर भी, मुझे लगता है काफ़ी जानते हैं।
अगर आप आलोक जी को जानते हैं तो सीधे खोलिए alokpuranik.com
लेकिन अगर आप आलोक जी को नहीं जानते हैं, तो पहले इसे पढ़ लीजिये।
जनरल नालेज में एक सवाल यह पूछा जाता है कि अगर कुतुबमीनार किसने बनवायी थी। अब कोई ने बनवायी हो, बन तो ली ना। जनरल नालेज में यूं पूछा जाये कि अगर कुतुबमीनार को बैंक्वेट हाल में बदल दिया जाये, और शादियों के लिए किराये पे दी जाने लगे। या इसे किसी प्राइवेट बिल्डर को दे दिया जाये, तो कितने की कमाई हो सकती है...
यदि आपको यह paragraph पसंद आया तो अब आप alokpuranik.com खोल सकते हैं।
और हाँ, यदि आप आलोक जी को नहीं जानते, तो आपको बता दूँ की ये अक्सर समाचार पत्रों में व्यंग्यकार के रूप में दिखाई देते रहते हैं।
अगर आप आलोक जी को जानते हैं तो सीधे खोलिए alokpuranik.com
लेकिन अगर आप आलोक जी को नहीं जानते हैं, तो पहले इसे पढ़ लीजिये।
जनरल नालेज में एक सवाल यह पूछा जाता है कि अगर कुतुबमीनार किसने बनवायी थी। अब कोई ने बनवायी हो, बन तो ली ना। जनरल नालेज में यूं पूछा जाये कि अगर कुतुबमीनार को बैंक्वेट हाल में बदल दिया जाये, और शादियों के लिए किराये पे दी जाने लगे। या इसे किसी प्राइवेट बिल्डर को दे दिया जाये, तो कितने की कमाई हो सकती है...
यदि आपको यह paragraph पसंद आया तो अब आप alokpuranik.com खोल सकते हैं।
और हाँ, यदि आप आलोक जी को नहीं जानते, तो आपको बता दूँ की ये अक्सर समाचार पत्रों में व्यंग्यकार के रूप में दिखाई देते रहते हैं।
पंक्ति प्रिया स्वाति की कवितावली: some wonderful poetry
यदि आप नए कवियों की रचनाएं पढ़ना पसंद करते हैं तो आपके लिए एक और poetry blog हाज़िर है। पढ़िये स्वाति जी का blog, कवितावली।
कवितावली का web address है: http://kavitavali.blogspot.com/
स्वाति जी का blog कवितावली संवेदनशील काव्य के प्रेमियों के लिए निश्चय ही पठनीय है।
Dubai, United Arab Emirates में रहने वाली स्वाति पेशे से अध्यापिका हैं और दाल रोटी चावल blog पर भी लिखती हैं।
कवितावली का web address है: http://kavitavali.blogspot.com/
स्वाति जी का blog कवितावली संवेदनशील काव्य के प्रेमियों के लिए निश्चय ही पठनीय है।
Dubai, United Arab Emirates में रहने वाली स्वाति पेशे से अध्यापिका हैं और दाल रोटी चावल blog पर भी लिखती हैं।
Friday, August 29, 2008
अनूठी पत्रकारिता.. media people blogging
कभी कभी कुछ लोग कमाल ही कर देते हैं। ऐसा ही एक छोटा सा कमाल है बोल हल्ला।
बोल हल्ला एक blog है, जिसे media से जुड़े लोग ही चलाते हैं। बोल हल्ला पर आपको विविध लेख, मीडिया से जुड़ी खबरें, और कई सारे हिन्दी अंग्रेज़ी अख़बारों के link भी मिल सकते हैं।
अगर आप पत्रकारिता से वास्ता रखते हैं, तो ज़रूर देखिये।
बोल हल्ला का address है: http://bolhalla.blogspot.com/
बोल हल्ला एक blog है, जिसे media से जुड़े लोग ही चलाते हैं। बोल हल्ला पर आपको विविध लेख, मीडिया से जुड़ी खबरें, और कई सारे हिन्दी अंग्रेज़ी अख़बारों के link भी मिल सकते हैं।
अगर आप पत्रकारिता से वास्ता रखते हैं, तो ज़रूर देखिये।
बोल हल्ला का address है: http://bolhalla.blogspot.com/
कुछ अपनी बातें...आपकी,हमारी..
सिर्फ़ अच्छा ही अच्छा हो, ज़रूरी तो नहीं। कभी कभी कम अच्छा भी अच्छा लगता है, बशर्ते कि उसमें कुछ ऐसा हो जिसमें ताकत हो आपको खींचने की।
तो फिर देखिये ये साधारण सा blog, जिसने न जाने क्यों मुझे खींचा, शायद इस blog की सादगी में ही वो ताकत हो।
कुछ अपनी बातें। URL है: http://kuchapnibatein.blogspot.com/
यदि click करें, तो इस Blog का Archive, पुरानी पाती एक बार ज़रूर देख लें।
तो फिर देखिये ये साधारण सा blog, जिसने न जाने क्यों मुझे खींचा, शायद इस blog की सादगी में ही वो ताकत हो।
कुछ अपनी बातें। URL है: http://kuchapnibatein.blogspot.com/
यदि click करें, तो इस Blog का Archive, पुरानी पाती एक बार ज़रूर देख लें।
Wednesday, August 27, 2008
फिर से मीडिया पर.. some more on media
मुझे लग रहा है की आजकल भारतीय मीडिया लोगों की आंखों में किरकिरी की तरह चुभ रहा है। कारण: मीडिया का व्यव्हार। जिस प्रकार न्यूज़ चैनल अपना कार्य छोड़ कर लोगों को हंसाने, टीवी दिखाने, और पुलिस से लेकर न्यायालय तक सब का कार्य करने में लगे हैं, यह स्वाभाविक ही है।
हाल ही में मुझे उदय केसरी जी का लेख, अख़बार का लिंग परिवर्तन (sex change of news paper) मिला जो काफ़ी अच्छा लगा। यदि आप भी इसे पढ़ना चाहते हैं, तो खोलें सीधी बात का URL: जो है, http://sidhibat.blogspot.com
हाल ही में मुझे उदय केसरी जी का लेख, अख़बार का लिंग परिवर्तन (sex change of news paper) मिला जो काफ़ी अच्छा लगा। यदि आप भी इसे पढ़ना चाहते हैं, तो खोलें सीधी बात का URL: जो है, http://sidhibat.blogspot.com
Tuesday, August 26, 2008
कविता कोश
यदि आप हिन्दी कविताओं का एक भण्डार चाहते हैं तो इस ब्लॉग पर जाएँ। यहाँ आपको निश्चय ही ऐसी अनेक कवितायें मिलेंगी जो आप के ह्रदय को छू जाएँगी।
हिन्दी कविताओं का विशाल कोश है: http://hindipoetry.blogspot.com
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